Friday, August 12, 2011

क्यों मानते है रक्षाबंधन


पौराणिक कथा-
राखी का त्योहार कब शुरू हुआ यह कोई नहीं जानता। लेकिन भविष्य पुराण में वर्णन है कि देव और दानवों में जब युध्द शुरू हुआ तब दानव हावी होते नज़र आने लगे। भगवान इन्द्र घबरा कर बृहस्पति के पास गये। वहां बैठी इंद्र की पत्नी इंद्राणी सब सुन रही थी। उन्होंने रेशम का धागा मंत्रों की शक्ति से पवित्र कर के अपने पति के हाथ पर बांध दिया। वह श्रावण पूर्णिमा का दिन था। लोगों का विश्वास है कि इंद्र इस लड़ाई में इसी धागे की मंत्र शक्ति से विजयी हुए थे। उसी दिन से श्रावण पूर्णिमा के दिन यह धागा बांधने की प्रथा चली आ रही है। यह धागा धन,शक्ति, हर्ष और विजय देने में पूरी तरह समर्थ माना जाता है
ऐतिहासिक कथा -
राजपूत जब लड़ाई पर जाते थे तब महिलाएं उनको माथे पर कुमकुम तिलक लगाने के साथ साथ हाथ में रेशमी धागा भी बांधती थी। इस विश्वास के साथ कि यह धागा उन्हे विजयश्री के साथ वापस ले आएगा। राखी के साथ एक और प्रसिद्ध कहानी जुड़ी हुयी है। कहते हैं, मेवाड़ की महारानी कर्मावती को बहादुरशाह द्वारा मेवाड़ पर हमला करने की पूर्वसूचना मिली। रानी लड़ऩे में असमर्थ थी। उसने मुगल राजा हुमायूं को राखी भेज कर रक्षा की याचना की। हुमायूँ ने मुसलमान होते हुए भी राखी की लाज रखी और मेवाड़ पहुँच कर बहादुरशाह के विरूद्ध मेवाड़ की ओर से लड़ते हुए कर्मावती और उसके राज्य की रक्षा की।[21] कहते है सिकंदर की पत्नी ने अपने पति के हिंदू शत्रु पुरूवास को राखी बांध कर अपना मुंहबोला भाई बनाया और युद्ध के समय सिकंदर को न मारने का वचन लिया। पुरूवास ने युद्ध के दौरान हाथ में बंधी
राखी का और अपनी बहन को दिये हुए वचन का सम्मान करते हुए सिकंदर को जीवदान दिया
साहित्यिक कथा-
अनेक साहित्यिक ग्रंथ ऐसे हैं जिनमें रक्षाबंधन के पर्व का विस्तृत वर्णन मिलता है। इनमें सबसे अधिक महत्वपूर्ण है हरिकृष्ण प्रेमी का ऐतिहासिक नाटक रक्षाबंधन जिसका 1991 में 18वाँ संस्करण प्रकाशित हो चुका है।[25] मराठी में शिंदे साम्राज्य के विषय में लिखते हुए रामराव सुभानराव बर्गे ने भी एक नाटक लिखा है जिसका शीर्षक है राखी ऊर्फ रक्षाबंधन।[26][27] पचास और साठ के दशक में रक्षाबंधन हिंदी फ़िल्मों का लोकप्रिय विषय बना रहा। ना सिर्फ़ 'राखी' नाम से बल्कि 'रक्षाबंधन' नाम से भी फ़िल्‍म बनाई गई। 'राखी' नाम से दो बार फ़िल्‍म बनी, एक बार सन 1949 में, दूसरी बार सन 1962 में, सन 62 में आई फ़िल्‍म को ए. भीमसिंह ने बनाया था, कलाकार थे अशोक कुमार, वहीदा रहमान, प्रदीप कुमार और अमिता। इस फ़िल्‍म में राजेंद्र कृष्‍ण ने शीर्षक गीत लिखा था- 'राखी धागों का त्‍यौहार'। सन 1972 में एस.एम.सागर ने फ़िल्‍म बनाई थी 'राखी और हथकड़ी' इसमें आर.डी.बर्मन का संगीत था। सन 1976 में राधाकांत शर्मा ने फ़िल्‍म बनाई 'राखी और राइफल'। दारा सिंह के अभिनय वाली यह एक मसाला फ़िल्‍म थी। इसी तरह से सन 1976 में ही शांतिलाल सोनी ने सचिन और सारिका को लेकर फ़िल्‍म 'रक्षाबंधन' नाम की बनाई

12 comments:

समय चक्र said...

रक्षाबंधन के पुनीत पर्व पर बधाई और हार्दिक शुभकामनाएं...

Chaitanyaa Sharma said...

प्यारी पोस्ट...... राखी के प्यारे त्योंहार की बधाई.....

Unknown said...

बहुत बढिया पोस्ट, और अच्छी जानकारी आपको रक्षाबंधन की बधाईयाँ |

Smart Indian said...

सुन्दर पोस्ट! शुभकामनायें!

smshindi By Sonu said...

रक्षाबंधन और स्वंतत्रता दिवस पर ढेर सारी शुभकामनायें.

Dr (Miss) Sharad Singh said...

सार्थक लेख.....

स्वतंत्रता दिवस की हार्दिक शुभकामनाएं.

virendra sharma said...

राखी को इतिहास के झरोखे हाज़िर करता एक अन्वेषण परक आलेख ,बहुत सुन्दर प्रस्तुति उपेन्द्र भाई ,बधाई .
http://veerubhai1947.blogspot.com/

रविवार, १४ अगस्त २०११
संविधान जिन्होनें पढ़ा है .....


http://kabirakhadabazarmein.blogspot.com/
Sunday, August 14, 2011
चिट्ठी आई है ! अन्ना जी की PM के नाम !

virendra sharma said...

रविवार, १४ अगस्त २०११
संविधान जिन्होनें पढ़ा है .....
अन्नाजी को कटहरे में खड़े करने वालों से सीधी बात -
अन्नाजी ने संविधान नहीं पढ़ा है ,वह जो चाहे बोल देतें हैं ?
मेरे विद्वान दोश्त कपिल सिब्बल जी ,संविधान इस देश में जिन्होनें पढ़ा था उन्होंने इमरजेंसी लगा दी थी .और संविधान में यह कहाँ लिखा है ,कि किसी व्यक्ति की उम्र नहीं पूछी जा सकती ,उससे ये नहीं कहा जा सकता ईश्वर ने आपको सब कुछ दिया है ,अब आप उम्र दराज़ हो गए राष्ट्र की सेवा करो ।आपके पास नैतिक ताकत है ,आप ईमानदार हैं .
संविधान में यह भी मनाही नहीं है कि एक साथ चार -मूर्खों को मंत्री बना दिया जाए ,और एक षड्यंत्र रच के १४ अगस्त की शाम एक साथ सारे एक ही स्वर में ,एक ही आरोह अवरोह में झूठ बोलना शुरु करें ।
और ये कौन से सावंत की बात हो रही है अदालत तो राखी सावंत भी लगातीं थीं ?
क्या किसी नैतिक शक्ति से संचालित होकर भ्रष्टाचार के खिलाफ बोलने की संविधान में मनाही है या फिर प्रजातंत्र में यह नैतिक शक्ति ही उसे प्रासंगिक बनाए रहती है ?
किसी नवीन चावला को भी संविधान के ऊपर थोपने की मनाही नहीं है ।
विदूषी अंबिका सोनी जी कहीं संजय गांधी जी की तो बात नहीं कर रहीं ।?गांधी तो वह भी थे .
महात्मा गांधीजी को तो यह हक़ हासिल था कि वह पंडित नेहरु या सुभाष चन्द्र बोस की उम्र पूछ सकें ।
ये काले कोट वाले सुदर्शन कुमारजी जांच तो भगत सिंह की भी करवा सकतें हैं -संसद में बम गिराने का असलाह और पैसे कहाँ से जुटाए थे ज़नाबभगत सिंह ने ?
सारे महानुभाव मय मनीष तिवारीजी ,सुदर्शन हैं ,सुमुखी हैं ,वाणी से इनकी अमृत झर रहा है ,संविधान में इसकी भी मनाही नहीं है इन्हें कुछ भी बोलने की छूट न दी जाए ।
"अनशन स्थल और अवधि वही जो सरकार बतलाये ,आन्दोलन वही जो सरकार चलवाए ।".
अन्ना का खौफ क्यों भाई ,कल को कोई अन्नभी मांगेगा ,अन्न कहेगा तो सरकार "अन्ना "समझेगी ?इस नासमझी की भी संविधान में मनाही नहीं है ?

Surendra shukla" Bhramar"5 said...

प्रिय उपेन्द्र शुक्ल जी अच्छा ज्ञान वर्धक लेख
स्वतंत्रता दिवस और राखी की हार्दिक शुभ कामनाएं ...

लोगों ने बत्ती गुल करके सरकार को कुछ दिखा तो दिया अभी जरुरत है कल एक साथ जोर लगा देने की ...आइये हम सब मिल आगे बढ़ें कुछ करें

भ्रमर ५

Jyoti Mishra said...

m a lil late but belated
Happy rakshabandha n happy independence day !!!

virendra sharma said...

आपके स्नेह पूर्ण दस्तक के लिए आभार .,अच्छी पोस्ट है पावन पर्व पर भाई बहन के ......http://veerubhai1947.blogspot.com/http://veerubhai1947.blogspot.com/
मंगलवार, १६ अगस्त २०११
पन्द्रह मिनिट कसरत करने से भी सेहत की बंद खिड़की खुल जाती है .
Thursday, August 18, 2011
Will you have a heart attack?
http://kabirakhadabazarmein.blogspot.com/

Unknown said...

अत्यंत ही ज्ञानवर्धक आलेख ..रक्षा बंधन के महत्त्व ओर इतिहास से परिचित करने के लिए आभार एवं हार्दिक शुभ कामनाएं !!!

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