Wednesday, July 20, 2011
आखिर कहा से आया समोसा
समोसा दक्षिण एशिया का एक लोकप्रिय व्यंजन है। इस लज़ीज़ त्रिभुजाकार व्यंजन को आटा या मैदा के साथ आलू के साथ बनाया जाता है और चटनी के साथ परोसा जाता है। ऐसा माना जाता है कि समोसे की उत्पत्ति उत्तरी भारत में हुई ऑर फिर यह धीरे-धीरे पूरे भारत, पाकिस्तान, बांग्लादेश सहित आस-पास के क्षेत्रों में भी काफी लोकप्रिय हुआ। यह भी माना जाता है कि समोसा मध्यपूर्व से भारत आया और धीरे-धीरे भारत के रंग में रंग गया। कुछ इतिहासकारों का कहना है कि दसवीं शताब्दी में मध्य एशिया में समोसा एक व्यंजन के रूप में सामने आया था। 13-14वीं शताब्दी में व्यापारियों के माध्यम से समोसा भारत पहुँचा। महान कवि अमीर खुसरो (1253-1325) ने एक जगह जिक्र किया है कि दिल्ली सल्तनत में उस दौरान स्टड मीट वाला घी में डीप फ्राई समोसा शाही परिवार के सदस्यों व अमीरों का प्रिय व्यंजन था। १४ वीं शताब्दी में भारत यात्रा पर आये इब्नबतूता ने मो0 बिन तुगलक के दरबार का वृतांत देते हुए लिखा कि दरबार में भोजन के दौरान मसालेदार मीट, मंूगफली और बादाम स्टफ करके तैयार किया गया लजीज समोसा परोसा गया, जिसे लोगों ने बड़े चाव से खाया। यही नहीं 16वीं शताब्दी के मुगलकालीन दस्तावेज आईने अकबरी में भी समोसे का जिक्र बकायदा मिलता है।
समोसे का यह सफर बड़ा निराला रहा है। समोसे की उम्र भले ही बढ़ती गई पर पिछले एक हजार साल में उसकी तिकोनी आकृति में जरा भी परिवर्तन नहीं हुआ। आज समोसा भले ही शाकाहारी-मांसाहारी दोनों रूप में उपलब्ध है पर आलू के समोसों का कोई सानी नहीं है और यही सबसे ज्यादा पसंद भी किया जाता है। इसके बाद पनीर एवं मेवे वाले समोसे पसंद किये जाते हैं। अब तो मीठे समोसे भी बाजार में उपलब्ध हैं। समोसे का असली मजा तो उसे डीप फ्राई करने में है, पर पाश्चात्य देशों में जहाँ लोग कम तला-भुना पसंद करते हैं, वहां लोग इसे बेक करके खाना पसंद करते हैं। भारत विभिन्नताओं का देश है, सो हर प्रांत में समोसे के साथ वहाँ की खूबियाँ भी जुड़ती जाती हैं। उ0प्र0 व बिहार में आलू के समोसे खूब चलते हैं तो गोवा में मांसाहारी समोसे ज्यादा लोकप्रिय हैं। पंजाबी समोसा खूब चटपटा होता है तो चाइनीज क्यूजीन पसंद करने वालों के लिए नूडल्स स्टड समोसे भी उपलब्ध हैं। बच्चों और बूढ़ों दोनों में समोसे के प्रति दीवानगी को भुनाने के लिए तमाम बहुराष्ट्रीय कम्पनियां इसे फ्रोजेन फूड के रूप में भी बाजार में प्रस्तुत कर रही हैं।
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12 comments:
wow !...mouth watering presentation !
उपेन्द्र भाई समोसा अनेक रूपा है .इसको ऑक्सफोर्ड शब्द कोष में प्रवेश मिला हुआ है .अब यह विविध रूपों में एक आलमी व्यंजन है .अच्छी शोधपरक पोस्ट .विजेट के लिए शुक्रिया और भी दोस्त उसमे कुछ करना है सौन्दर्य -वर्धक तो कर डालो .आप हमारे मेक अप मेन हैं .नेहा और आदर से वीरुभाई .
Bahut badiya samose kee jankari..
aajkal brasat ke mausam mein to jab bheeg gayen ho to dekhkar muhn mein kuch jyada hi paani aa jaata hai...
सरक-सरक के निसरती, निसर निसोत निवात |
चर्चा-मंच पे आ जमी, पिछली बीती रात ||
http://charchamanch.blogspot.com/
बढिया है ये समोसा पुराण! :)
बहुत टेस्टी पोस्ट है आपकी.....
समोसे का इतिहास पढ़ कर मजा आ गया.
उपेन्द्र भाई शुक्रिया .
खाते तो अक्सर हैं मगर जाना आज ही। आपने अच्छी जानकारी दी आभार।
उपेन्द्र शुक्ल जी अभिवादन -लजीज समोसे का आनंद ले मजा आया और उसका इतिहास तो चटनी मसाला बन और मन भाया..देखिएगा नही बाहरी दुनिया वाले इस का भी पेटेंट न करा लें ये सुन
सुन्दर लेख
शुक्ल भ्रमर ५
samose ka itihaas kafi jayakedaar raha ,munh me swad bhi badhane laga magar aaj vrat hai nahi to is post ka bharpur aanand liya jata ,filhaal anubhav se hi kaam chala rahe hai ,sardi aur barsaat me to maang uar izzat dono upar hote hai .sundar .
aap sabhi logo ko dhanyawaad
समोसा क्या बात है।
इतना पुराना है।
अब पता चला।
धन्यवाद आपका जो आपने हमें इतनी अच्छी तरह बताया।
अब मैं भी समोसा खाने जा रहा हूँ।
धन्यवाद।
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